वृक्षारोपण भाग-२
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मन में शांति और सुख का अनुभव होता है। वृक्ष वर्षा करने में सहायता करते हैं। अगर धरती पर नमी न हो तो धरती रेगिस्तान में बदल जाएगी। पूरा प्राणी और पशु जगत इन्हीं वृक्षों और वनस्पतियों पर आश्रित हैं। वृक्षों के बिना धरती की दशा का हम किसी मरुस्थलीय देश को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। बाढ़ को रोकने में भी वृक्ष हमारी सहायता करते हैं। ये धरती की जीवन रक्षा करते हैं।
हवा की शुद्धि : जब अनेक वैज्ञानिक खोजें की गईं तब हमें यह पता चला कि वृक्ष और वनस्पतियाँ हवा को शुद्ध करती हैं। ये वर्षा करने में सहायता करते हैं और वातावरण को भी संतुलित बनाए रखते हैं। साँस लेने के लिए या जिंदा रहने के लिए जिस ऑक्सीजन की जरूरत होती है वो हम सब को केवल वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वृक्ष हमारे लिए ही वायु प्रदूषण की लड़ाई भी लड़ते है।
वन क्षरण : आजकल लोग भविष्य की चिंता किये बिना ही वनों को लगातार काटते जा रहे हैं। आच्छादित भूमि पर से वनों को काटकर नगर और शहर बसाए जा रहे हैं और उद्योग धंधों की स्थापना की जा रही है। ईंधन की कमी को पूरा करने के लिए तथा घरेलू उपकरण और कृषि के लिए लोग वनों को अंधाधुंध काटे जा रहे हैं।
दूसरे देशों के मुकाबले हमारे भारत में वनों के साथ उपेक्षा का व्यवहार किया जाता है। जनसंख्या बढती जा रही है और वनों की संख्या बहुत ही कम होती जा रही है। हम वृक्षों का विकास किये बिना हम उनसे अधिक-से-अधिक वनस्पति प्राप्त कैसे कर सकते हैं।
उपसंहार : वृक्षों के महत्व से कोई भी इंकार नहीं कर सकता है। अब हर गाँव में पेड़ लगाए जा रहे हैं। हमारे देश के लोग भी वृक्षों के संदर्भ में अपने कर्तव्य से अवगत हो रहे हैं। वे वृक्षों के विकास के लिए प्रयत्नशील हैं।
हर साल वन महोत्सव बनाया जाता है और वृक्षारोपण का काम किया जाता है। हमें भी अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए और स्वास्थ्य के उपहार को वृक्षों से प्राप्त करना चाहिए। हम वृक्षों को बचाकर धरती को सुंदर, हर भरा और जीवन योग्य बना सकते हैं।
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