ध्यान
बुद्ध ने उस व्यक्ति को प्यार से कहा, 'देखो, जो व्यक्ति किसी से वैर-भाव रखता है, किसी से ईर्ष्या करता है, किसी पर क्रोध करता है, निरीह प्राणियों पर अत्याचार या किसी की हत्या करता है, वही नीच होता है। बुद्ध ने आगे कहा, जो व्यक्ति ऋण लेकर लौटाते समय झगडा अथवा बेईमानी करता है, जो राह चलते लोगों को मार-पीटकर लूट लेता है, जो माता-पिता की सेवा व बड़ों का आदर करना नहीं जानता, उनका अपमान करता है, वह नीच होता है।'
फिर बुद्ध ने समझाते हुए कहा कि जो लोगों को कुमार्ग पर चलाता है, जो हेराफेरी करता है, जो सदैव मोह-माया से ग्रस्त रहता है, जो सिर्फ अपनी प्रशंसा व दूसरों की निंदा में रत रहता है, उससे बड़ा नीच कोई नहीं होता। जब कोई किसी पर चिल्लाता है, उसे अपशब्द कहता है या उसे नीच बतलाता है तो उस समय चिल्लाने वाला या दूसरे को नीच बताने वाला व्यक्ति ही वास्तव में नीचता पर उतारू होता है।
फिर बुद्ध ने समझाते हुए कहा कि जो लोगों को कुमार्ग पर चलाता है, जो हेराफेरी करता है, जो सदैव मोह-माया से ग्रस्त रहता है, जो सिर्फ अपनी प्रशंसा व दूसरों की निंदा में रत रहता है, उससे बड़ा नीच कोई नहीं होता। जब कोई किसी पर चिल्लाता है, उसे अपशब्द कहता है या उसे नीच बतलाता है तो उस समय चिल्लाने वाला या दूसरे को नीच बताने वाला व्यक्ति ही वास्तव में नीचता पर उतारू होता है।
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