शिक्षक दिवस भाग-१
प्रस्तावना: गुरु-शिष्य परंपरा सदियों से हमारे
देश में चली आ रही है। गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत गुरु अपने शिष्य को शिक्षा
देता है। बाद में वही शिष्य गुरु के रुप में दूसरों को शिक्षा देता है। यह परंपरा
सदियों से चली आ रही है। अब हम गुरु शब्द का अर्थ जानेंगे।
‘गु’ शब्द का अर्थ होता है अंधकार( अज्ञान) और ‘रू’ शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान, इस प्रकार अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रहा रूप प्रकाश है, वह गुरु होता है। और गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है यह सर्वविदित है।
‘गु’ शब्द का अर्थ होता है अंधकार( अज्ञान) और ‘रू’ शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान, इस प्रकार अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रहा रूप प्रकाश है, वह गुरु होता है। और गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है यह सर्वविदित है।
गुरु का हमारे जीवन में महत्व :
गुरु के महत्व के बारे में संत श्री
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है
“गुरु बिन भवनिधि तरही न कोई;
जो बिरंचि संकर सम होई ”
जो बिरंचि संकर सम होई ”
अर्थात भले ही कोई ब्रह्मा, विष्णु, महेश, के समान क्यों ना हो पर वह गुरु के
बिना भवसागर पार नहीं कर सकता है जब से धरती बनी है तब से ही गुरु का महत्व इस
धरती पर है। वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, गीता, गुरु ग्रंथ, आदि में महान संतों द्वारा गुरु की
महिमा का गुणगान किया गया है। गुरु शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है।
संक्षेप में कहें तो शिक्षक ईश्वर का दिया हुआ वह उपहार है जो हमेशा से ही बिना
किसी स्वार्थ और भेदभाव रहित व्यवहार से बच्चों को सही गलत और अच्छे बुरे का ज्ञान
कराता है। समाज में शिक्षक की भूमिका अति महत्वपूर्ण होती है क्योंकि उन्हीं
बच्चों से समाज का निर्माण होता है। और शिक्षक उन्हें समाज में एक अच्छा इंसान बनाने की जिम्मेदारी
लेता है।माता-पिता के बाद शिक्षक ही होता है जो बच्चों को एक सही रूप में ढालने की
नींव रखता है।
शिक्षक दिवस मनाने का दिन : शिक्षक दिवस देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली
राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर 5 सितंबर 1962, से शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता
हैं। इस दिन सभी स्कूल संस्थानों में बच्चे और युवा किसी उत्सव के रूप में शिक्षक
दिवस मनाते हैं।आज के दिन बच्चे शिक्षक का रूप धारण करके शिक्षक की भूमिका अदा
करते हैं।
'एक शिक्षक का दिमाग देश में सबसे
बेहतर होता है' ऐसा माना जाता है। एक बार सर्वपल्ली राधा कृष्णन के कुछ छात्रों और
दोस्तों ने उनका जन्म दिवस मनाने की इच्छा ज़ाहिर की। इसके जवाब में डॉक्टर
राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय इसे टीचर्स डे के रूप में मनाया
जाए तो मुझे बहुत गर्व होगा। इसके बाद से ही पूरे भारत में 5 सितंबर का दिन टीचर्स डे के रूप में
मनाया जाता है। इस दिन इस महान शिक्षाविद को हम सब याद करते हैं और सभी शिक्षकों का
सम्मान पूर्वक धन्यवाद अदा करते हैं जो हमें सदैव हमारे अच्छे बुरे कार्यों की समझ
देता है। ऐसे शिक्षक को शत-शत नमन है।(भाग-२ जारी...)
👉https://sudhirtutorial.blogspot.com/2020/05/blog-post_21.html
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