व्याकरण-रूप के आधार पर क्रियाविशेषण के भेद

रूप के आधार पर क्रियाविशेषण के तीन भेद होते
हैं :
1.
मूल क्रियाविशेषण
2.
स्थानीय क्रियाविशेषण
3.
योगिक क्रियाविशेषण
1. मूल क्रियाविशेषण
ऐसे शब्द जो दुसरे शब्दों के
मेल से नहीं बनते यानी जो दुसरे शब्दों में प्रत्यय लगे बिना बन जाते हैं, वे शब्द मूल क्रियाविशेषण कहलाते हैं। जैसे: –
पास , दूर ,
ऊपर , आज ,
सदा , अचानक ,
फिर , नहीं ,
ठीक
आदि।
2. स्थानीय क्रियाविशेषण
ऐसे अन्य शब्द-भेद जो बिना अपने
रूप में बदलाव किये किसी विशेष स्थान पर आते हैं,
वे
स्थानीय क्रियाविशेषण कहलाते हैं। जैसे:
·
वह अपना सिर पढेगा।
·
तुम दौड़कर चलते हो।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए
उदाहरणों में देख सकते हैं कि सिर,
चलते
आदि शब्दों के रूप में बिना बदलाव हुए ही वे विशेष स्थान पर प्रयोग किये गए। अतः
यह स्थानीय क्रियाविशेषण के अंतर्गत आयेंगे।
3. यौगिक क्रियाविशेषण
ऐसे क्रियाविशेषण जो किसी
दुसरे शब्दों में प्रत्यय या पद आदि लगाने से बनते हैं, ऐसे क्रियाविशेषण योगिक क्रियाविशेषणों
की श्रेणी में आते हैं।
·
संज्ञा से यौगिक क्रियाविशेषण :-
जैसे :- सबेरे , सायं , आजन्म , क्रमशः , प्रेमपूर्वक , रातभर , मन से आदि।
जैसे :- सबेरे , सायं , आजन्म , क्रमशः , प्रेमपूर्वक , रातभर , मन से आदि।
·
सर्वनाम से यौगिक क्रियाविशेषण :-
जैसे :- यहाँ , वहाँ , अब , कब , इतना , उतना , जहाँ , जिससे आदि।
जैसे :- यहाँ , वहाँ , अब , कब , इतना , उतना , जहाँ , जिससे आदि।
·
विशेषण से क्रियाविशेषण :-
जैसे :- चुपके , पहले , दूसरे , बहुधा , धीरे आदि।
जैसे :- चुपके , पहले , दूसरे , बहुधा , धीरे आदि।
·
क्रिया से क्रियाविशेषण :-
जैसे :- खाते , पीते , सोते , उठते , बैठते , जागते आदि।
जैसे :- खाते , पीते , सोते , उठते , बैठते , जागते आदि।
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