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वृक्षारोपण भाग-१


भूमिका : भूतकाल में मनुष्य की वस्त्र, भोजन, और आवास सभी जरूरत वृक्षों से ही पूरी होती थी। फल उसके भोजन, पत्ते और छाल उसके कपड़े और लकड़ी तथा पत्तियों से बनी झोंपड़ी उसका घर होती थी। आग लगाने का पता चलने पर उसने उष्ण भी वृक्षों से ही प्राप्त किया था। आज के समय में भी वृक्ष मनुष्य के जीवन का आधार हैं। वृक्षों से ही हमे फलों और फूलों की प्राप्ति होती है। बहुत प्रकार की जड़ी-बूटियां भी हमें वृक्षों से ही प्राप्त होती है।
प्रकृति की पूजा : वन महोत्सव से हमारे मन में प्रकृति की पूजा का भाव उत्पन्न होता है। इस दृष्टि से देखा जाये तो छोटे पौधों का भी उतना ही महत्व होता है जितना बड़े पौधों का होता है। छोटे पौधे बड़े होकर बड़े पौधों की जगह ले लेते हैं। वन हमारे प्रेरणा के स्त्रोत होते हैं। वन से हमे रोगों के इलाज के लिए दवाईयाँ मिलती हैं। वन प्रकृति की देन हैं इसलिए हमें प्रकृति की पूजा करनी चाहिए। बेल, तुलसी, केला, बड और पीपल की पूजा की जाती है।
मानव का जीवन : वन मानव जीवन के लिए निधि होते हैं। लेकिन जनसंख्या के बढने से वन काट दिए गये और धरती रहने और कृषि करने के योग्य बना दी गई। भारत में बहुत घने वन थे लेकिन धीरे-धीरे वनों का नाश भयंकर रूप से होने लगा। नए पेड़ लगाना संभव नहीं किया गया। स्वतंत्रता के बाद वनों की ओर ध्यान दिया गया है और देश में वन महोत्सव को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाने लगता है।
इस उत्सव को सारे संसार में बहुत ही खुशी से मनाया जाने लगा। हर जगह पर कोई एक बड़ा आदमी पेड़ लगाता है और दूसरे लोग उसका अनुसरण करते हैं। वृक्ष हमारे लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं जब तप्ती दोपहर होती है तब हम वृक्ष की छाया में बैठते हैं। वृक्षों से मानव जीवन में ईंधन, वनस्पतियों और फल-फूलों की जरूरत पूरी होती हैं। आदिकाल से ही वृक्ष मनुष्य की जरूरतों को पूरा करते आ रहे हैं।
वृक्ष हमारे मित्र : मानव और वनों को मित्र कहा जाता है। इनके लाभों को गिनना असंभव है। वृक्ष जहर कार्बन-डाई-आक्साईड को लेकर हमे जीने के लिए ऑक्सीजन देते हैं। वृक्ष अपने लिए भोजन बनाते हैं लेकिन फल के रूप में हमें दे देते हैं। इनके घने कुंज वन्य जीवन को रहने के लिए जगह और सुरक्षा देते हैं। ये हमारे बहुत ही सच्चे मित्र होते हैं। वृक्ष खुद तप्ती धूप को सहकर हमे छाया देते हैं।(भाग-२ जारी...)
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