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व्याकरण-सर्वनाम परिभाषा

    वह शब्द जो संज्ञा के बदले में आए उसे सर्वनाम कहते हैं। जैसे – मैं, तुम, हम, वह, आप, उसका, उसकी आदि।

यह संज्ञा के स्थान पर आता है। संज्ञा और संज्ञा वाक्यांशों को आम तौर पर वह, यह, उसका और इसका जैसे सर्वनाम द्वारा प्रतिस्थापित कर सकते हैं, ताकि दोहराव या सुस्पष्ट पहचान के परिहार, या अन्य किसी कारण से. उदाहरण के लिए, वह राम है। वाक्य में शब्द वह सर्वनाम है, जो प्रश्नाधीन व्यक्ति के नाम की जगह पर मौजूद है। 
मूल सर्वनाम
हिंदी के मूल सर्वनाम ११ हैं-  मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, क्या, कोई, कुछ।
प्रयोग की दृष्टि से सर्वनाम 6 हैं,
1.   पुरूषवाचक - मैं, तू, वह, मैंने
2.   निजवाचक - आप
3.   निश्चयवाचक (संकेतवाचक) - यह, वह
4.   अनिश्चयवाचक - कोई, कुछ
5.   संबंधवाचक - जो, सो
6.   प्रश्नवाचक - कौन, क्या
सर्वनाम दो शब्दों के योग से बना है सर्व + नाम , अर्थात जो नाम सब के स्थान पर प्रयुक्त हो उसे सर्वनाम कहा जाता है।
सर्वनाम के उदाहरण
1.   मोहन 11वीं कक्षा में पढ़ता है।
2.   मोहन स्कूल जा रहा है।
3.   मोहन के पिताजी पुलिस हैं।
4.   मोहन की माताजी डॉक्टर है।
5.   मोहन की बहन खाना बना रही है।
उपर्युक्त वाक्य में मोहन संज्ञा ) है इसका प्रयोग बार – बार हुआ है। बार – बार मोहन शब्द को दोहराना वाक्यों को अरुचिकर व कम स्तर का बनाता है। यदि हम एक वाक्य में मोहन ( संज्ञा ) को छोड़कर अन्य सभी जगह सर्वनाम का प्रयोग करें तो वाक्य रुचिकर व आकर्षक बन जाएंगे। जैसे –
1.   मोहन 11वीं कक्षा में पढ़ता है।
2.   वह स्कूल जा रहा है।
3.   उसके पिताजी पुलिस हैं।
4.   उसकी माताजी डॉक्टर हैं।
5.   उसकी बहन खाना बना रही है।
इस प्रकार हम संज्ञा के स्थान पर इस का प्रयोग कर सकते हैं।
सर्वनाम की परिभाषा

"वह शब्द जो संज्ञा के बदले में आए उसे सर्वनाम कहते हैं।" जैसे – मैं , तुम , हम , वह , आप , उसका , उसकी , वह आदि। इसके शाब्दिक अर्थ को समझें तो यही प्रतीत होता है कि “ सबका नाम यह शब्द किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा प्रयुक्त ना होकर सबके द्वारा प्रयुक्त होते हैं। किसी एक का नाम ना होकर सबका नाम होते हैं। मैं का प्रयोग सभी व्यक्ति अपने लिए करते हैं। अतः मैं किसी एक का नाम ना होकर सबका नाम है।
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