बसन्त ऋतु
बसन्त ऋतु : बसन्त ऋतु सबका पसंदीदा मौसम है क्योंकि इस समय न तो गर्मी होती है और न ही सर्दी। बसन्त ऋतु का आगमन सर्दी के बाद होता है और यह मार्च में आती है। यह तीन महीने तक रहती है मार्च अप्रैल और जुन। इस रितु में हर तरफ हरे भरे पेड़ और खिलते हुए फूल दिखाई देते हैं। इस मौसम में प्रकृति की सौंदर्यता निखर कर आती है। यह वह मौसम है जब हम हल्के कपड़ा पहनना शुरू कर देते हैं और आसानी से किसी भी समय कहीं भी आ जा सकते हैं। यह मौसम पृथ्वी का जागृत कर उसको नया जीवन प्रदान करता हैं।
इस मौसम को त्योहारों का मौसम भी कहा जाता है क्योंकि इसमें हॉली, वैशाखी जैसे बहुत से पर्व आते हैं। इस मौसम में बिमारियाँ भी ज्यादा फैलती हैं क्योंकि यह सर्दियों के खत्म होने पर आता है और गर्मी का आगमन होता है। सभी मैदानों में घास होती है। पूरी पृथ्वी हरी भरी दिखती है। शाम को मौसम और भी ज्यादा सुहाना लगता है।
भूमिका : भारत एक ऐसा देश है जहाँ वर्ष में छः ऋतुएँ – बसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर आती हैं। ये ऋतुएँ लगभग दो-दो महीने रहती हैं। इन ऋतुओं का मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। बसन्त ऋतु क्योंकि सबसे अच्छी और मनमोहक है, अतः इसे ‘ऋतुराज’ भी कहते हैं। इसके सौंदर्य की महिमा वर्णनातीत है।
परिवर्तन : इस ऋतु के आने से बहुत परिवर्तन होता है। इससे पूर्व शिशिर ने जड़ चेतन को अत्यधिक तंग किया था। फागुन मास के आते ही सुहावना मौसम आने लगा। शीतल मन्द, सुगन्ध वायु चलने लगी। शिशिर ऋतु ने पेड़ों को बिना पत्तों के कर दिया था। अब नए पत्ते एवं नई कोंपलें निकलने लगीं। वनों में हरियाली छा गई। नए रंग बिरंगे फूल वन उपवन की शोभा बढ़ाने लगे। कहीं गुलाब, गेंदा और सूरजमुखी खिले होते हैं तो कहीं चम्पा, चमेली,केतकी आदि फूल अपनी सुगन्ध बिखेर रहे होते हैं।
खेतों में सरसों के पीले फूलों को देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति देवी ने अपने प्रेमी बसन्त के स्वागत के लिए पीली साड़ी ओढ़ी हो। यह सब देखकर मन-मयूर नाच उठता है। वनों में कोयले कूकने लगती हैं। आमों की डालियों पर भंवरे गुंजार करने लगते हैं। इस समय प्रकृति मधुरता, आनन्द और उल्लास से भर जाती है। ऐसे अवसर पर बाहर घूमने को मन करता है। इस बसन्त ऋतु का पशुपक्षी और दूसरे जीव स्वागत करते हैं। शरीर में नव रक्त का संचार होता है। किसान, व्यापारी एवं छात्र इस ऋतु का अमित लाभ उठाते हैं और अथक परिश्रम करते हैं।
त्योहार : इस बसन्त ऋतु में ‘बसन्त पंचमी’ और ‘होली’ के त्योहार मनाए जाते हैं। ‘बसन्त पंचमी के अवसर पर मेले लगते हैं। होली के अवसर पर अबाल-वृद्ध प्रसन्न दिखाई देते हैं। चारों ओर रंग एवं हास्य विनोद का वातावरण देखने को मिलता है।
उपसंहार : बसन्त के स्वागत के लिए प्रकृति सुन्दरी अपना सर्वोत्कृष्ट रूप संवारती है। जीवन में नवीनता एवं स्फूर्ति आती है। ऐसे अवसर पर लोगों को आलस्य त्याग कर प्रकृति का आनन्द लेना चाहिए और परिश्रम करना चाहिए। हमें ऐसे सुन्दर अवसर पर अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करना चाहिए।
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